भीम – Bhim in Mahabharata

Bhima

गदाधारी भीम के बारे में – About Bhima

महाभारत के प्रमुख पात्रों की श्रृंखला में आज हम गदाधारी भीम के बारे में जानेंगे। भीम पांडु पुत्रों में दूसरे स्थान पर आते हैं। यह सभी पांडव पुत्रों में सबसे अधिक शक्तिशाली थे। इनमें सौ हाथियों के बराबर बल था। यह गदा युद्ध में भी निपुण थे।

इनकी वीरता के आगे तो स्वयं भगवान इंद्र भी नतमस्तक हो जाया करते थे। इन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवनकाल में कई राक्षसों, दुराचारियों और योद्धाओं का वध किया था। ऐसे में आज हम गदाधारी भीम के जीवन से आपका परिचय कराएंगे।


भीम का संक्षिप्त परिचय

नामभीमसेन
पिता का नाममहाराज पांडु
माता का नामकुंती और माद्री
भाईयुधिष्ठिर, अर्जुन, नकुल, सहदेव, हनुमान जी
जन्म स्थानहस्तिनापुर
जन्मपवन देवता के आशीर्वाद से
निपुणगदाधारी, बलशाली, शक्तिशाली, 100 हाथियों के बराबर बल, अच्छे रसोइया
प्रमुख शस्त्रगदा
अन्य नामवृकोदर और भीमसेन
सर्वाधिक प्रियभोजन
गुरुद्रोणाचार्य, बलराम
वैवाहिक स्थितिविवाहित
जीवनसाथीद्रौपदी, हिडिंबा, वालंधरा
राक्षस वधहिडिंब, बकासुर, जरासंध
महाभारत युद्ध97 कौरव भाइयों का वध, दुर्योधन और दुशासन का वध, कलिंगराज, भानुमान, केतुमान, दुर्मासन, कर्ण के पुत्रों का वध
संतानघटोत्कच, सुतसोम, सर्वग
प्रपौत्रबर्बरीक
मृत्युअपने बल पर घमंड के कारण

पवन देवता का अंश थे पांडव भीम

उल्लेखित है कि महाराज पांडु और माता कुंती की दूसरी संतान पवन देवता के आशीर्वाद से जन्मी थी। जिन्होंने जन्म के उपरांत ही पत्थर से बनी एक चट्टान को तोड़कर अपने बलशाली होने का प्रमाण दे दिया था। जिनको हम गदाधारी भीम के नाम से जानते हैं।

इनके जन्म के दौरान यह आकाशवाणी हुई थी। कि “इनके बराबर संसार में दूसरा कोई बलवान पैदा नहीं होगा”। भीम को समस्त पांडव भाइयों में श्रेष्ठ कद काठी और बल प्राप्त था। इनको वृकोदर और भीमसेन इत्यादि नामों से भी जाना जाता है। भीम को बचपन से भोजन अति प्रिय था। जिसके चलते पांडव भाई मिलकर सदैव इनके साथ हंसी ठिठौली किया करते थे।

इन्होंने गुरु द्रोणाचार्य के आश्रम में रहकर ही युद्ध नीति और शास्त्रों का अध्ययन किया था। इसके अलावा भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम से भीम ने गदा शिक्षा ग्रहण की थी। भीम के व्यवहार में क्रोध की अधिकता थी। यही कारण था कि बचपन से ही दुर्योधन के छलपूर्वक व्यवहार को देखकर भीम को सदैव ही उसपर क्रोध आता था।

परन्तु ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर की बात का मान रखते हुए भीमसेन सदैव ही अपने गुस्से पर काबू पा लिया करते थे। भीम के बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म पवन देवता के आशीर्वाद से हुआ था। इसलिए भीम और हनुमान जी भाई-भाई थे।

महाभारत काल में भीम और हनुमान जी के मिलन की एक घटना काफी प्रचलित थी। जहां बलशाली भीम जब हनुमान जी की पूंछ को उठा नहीं पाए थे। तब उन्होंने गदाधारी भीम को अभिमान और क्रोध की स्थिति से बचने का उपाय सुझाया था।


सौ हाथियों के बराबर भीम को मिली थी शक्ति

कौरव दुर्योधन बाल्यावस्था से ही भीम को अपना प्रतिद्वंदी समझा करता था। जिसके चलते उसने एक दिन भीम को सबक सिखाने के लिए उनके भोजन में कालकूट विष मिला दिया। जिसके बाद उन्हें बांधकर नदी में फेंक दिया। भीमसेन नदी में डूबकर नागलोक पहुंच गए।

जहां उन्होंने एक-एक करके सभी नागों को मार दिया। फिर वहां मौजूद नागराज आर्यक ने भीम को पहचान लिया और उन्हें गले से लगा लिया। इस दौरान उन्होंने भीम को एक कुंड से जल पीने को कहा। जिससे भीम को सौ हाथियों के बराबर बल प्राप्त हुआ।

और फिर वह लगभग आठ दिन बाद हस्तिनापुर लौट आए। दूसरा, भीम के पेट में वृक नामक अग्नि थी। जिससे उनके शरीर पर विष का कोई असर नहीं होता था। कहते है इसलिए आगे चलकर भीम वृकोदर नाम से जाने गए।


गदाधारी भीम का विवाह और उनके पुत्र

गदाधारी भीम का पहला विवाह हिडिंबा नामक राक्षसनी से हुआ था। यह उस समय की बात है, जब लाक्षा गृह की घटना के बाद पांडव पुत्रों ने अपना समय जंगल में व्यतीत किया था। उस दौरान एक हिंडिब नामक राक्षस की गदाधारी भीम से लड़ाई में वह मारा गया।

परन्तु उस राक्षस की बहन हिडिंबा अपना दिल भीम को दे बैठी थी। जिस पर माता कुंती के आशीर्वाद से भीम और हिडिंबा का विवाह हुआ। इनके पुत्र का नाम घटोत्कच था। जिसने महाभारत युद्ध में कौरवों की सेना में उथल पुथल मचा दी थी।

आगे चलकर घटोत्कच और उसकी पत्नी मौरवी से बर्बरीक नाम के योद्धा ने जन्म लिया। महाभारत की कहानी में बर्बरीक भी एक महान योद्धा बनकर उभरा। दूसरा, भीम का विवाह द्रुपद नरेश की पुत्री द्रौपदी से हुआ था। द्रौपदी से भीम को सुतसोम नामक पुत्र की प्राप्ति हुई थी।

भीम द्रौपदी के साथ सदैव एक सच्चे मित्र की भांति रहा करते थे। द्रौपदी किसी भी समस्या को लेकर सबसे पहले भीम के पास जाया करती थी। इसके अलावा, भीम का तीसरा विवाह अंग देश की राजकुमारी वालंधरा से हुआ था। जिससे इनको सर्वग नामक पुत्र उत्पन्न हुआ था।


बलशाली भीम के जीवन से जुड़े रहस्य

बुंदेलखंड के छतरपुर जिले को भीमकुंड के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है पांडवों ने अज्ञातवास के समय अपना अधिकांश समय यहां व्यतीत किया था। यहां भीम की गदा से निर्मित एक विशालकाय छेद है। मानते है जिसे भीम ने द्रौपदी को प्यास लगने पर बनाया होगा।

इसमें से लोगों को आज भी अत्यंत पारदर्शी और निर्मल पानी की प्राप्ति होती है। इसके अतिरिक्त, पिथौरागढ़, शिमला आदि जगहों पर भी भीम की वीरता के किस्से देखने और सुनने को मिलते हैं।

माना जाता है कि राजस्थान में एक ऐसी जगह भी मौजूद है। जहां पांडवों द्वारा महाभारत युद्ध के पश्चात् स्नान करके अपने पापों की समाप्ति की गई थी। इसी दौरान एक सूर्य कुंड में स्नान करने से भीम के हथियार गल गए थे।

भीम शक्तिशाली होने के साथ एक अच्छे रसोइया भी थे। इन्होंने अज्ञातवास के दौरान विराट नगरी में बल्लव नाम से रसोई का कार्य भार संभाला था।

गदाधारी भीम महाभारत युद्ध में कुरु सेना पर हमला करने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्होंने 100 कौरवों भाइयों समेत दुर्योधन का वध करके महाभारत युद्ध को समाप्त भी किया था।


कितने ही योद्धाओं को भीम ने मार गिराया

भीम महाभारत काल के ऐसे योद्धा थे। जो सदैव ही अपमान का बदला लेने के लिए तैयार रहते थे। फिर चाहे वह द्रौपदी चीरहरण का बदला हो या फिर पांडवों के साथ किए गए छल का। भीम ने सदा ही पांडव भाइयों और बुराई को समाज से उखाड़ फेंकने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।

इन्होंने लाक्षा गृह के बाद एकचक्रा नगरी में निवास के दौरान बकासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था। जिससे उस नगर के लोगों को राक्षस के आतंक से मुक्ति मिली थी। इसके अलावा, इन्होंने श्री कृष्ण के कहने पर मगथराज जरासंध को मार गिराया था।

जिससे भीम ने मल्ल युद्ध किया था। इस दौरान उन्होंने जरासंध के शरीर के दो टुकड़े करके अलग अलग दिशाओं में फेंक दिए थे। जरासंध की मृत्यु के बाद भीम ने कई राजाओं को जरासंध की कैद से आजाद कराया था।

साथ ही भीम ने महाभारत के युद्ध में 97 कौरव भाइयों को युद्ध भूमि में मार गिराया था। और तो और दुशासन के पुत्र दुर्मासन, कर्ण के पुत्रों, कलिंगराज भानुमान, केतुमान आदि को भी भीम ने ही युद्ध भूमि में मौत के घाट उतारा था। भीम के हाथों ही हिडिंबा के राक्षस भाई हिडिंब की मौत हुई थी।

इस प्रकार, भीम ने सदैव ही एक बलशाली और शौर्य वीर पुरुष की भांति धर्म और नीति को बचाने के लिए अनेकों बुराईयों का अंत किया।

भीम ने लिया था द्रौपदी के अपमान का बदला

भीम ने सदैव ही द्रौपदी के अपमान का बदला लिया। जब चौसर खेलने के दौरान धर्मराज युधिष्ठिर द्रौपदी को भी हार गए थे। तब उन्होंने इसका कसूरवार धर्मराज युधिष्ठिर को ठहराया था। और समस्त ज्येष्ठ बंधुओं से सुसज्जित सभा में द्रौपदी के चीरहरण का बदला लेने की प्रतिज्ञा ली थी।

इस दौरान उन्होंने कौरव दुशासन की छाती फाड़कर उसका रक्त पीने और दुर्योधन की जंघा तोड़ने की कसम खाई थी। ऐसे में महाभारत युद्ध के समय दुशासन का वध भीम के हाथों हुआ। द्रौपदी को दिए वचन के चलते उन्होंने दुशासन के रक्त को लाकर द्रौपदी को दिया।

जिससे द्रौपदी ने अपने केश धोए। इतना ही नहीं द्रौपदी के अपमान का बदला लेने के लिए उन्होंने महाभारत युद्ध के दौरान दुर्योधन से गदा युद्ध किया था। जहां भीम ने दुर्योधन की जंघा पर वार करके उसको मौत के घाट उतारा था।

इतना ही नहीं, अज्ञातवास के दौरान जब राजा विराट की नगरी में मत्स्य वंश के राजा कीचक ने द्रौपदी (सैरांध्री) का अपमान किया था। तब भीम ने कीचक को मारकर द्रौपदी के अपमान का बदला पूरा किया था। ऐसे में जीवन के अंतिम समय में द्रौपदी ने भी भीम को ही अपना सच्चा साथी माना था।

जिन्होंने उनके हर अपमान का बदला लिया और सदैव ही उनका साथ दिया था।


क्या बलशाली होना भीम की मृत्यु का कारण बना?

महाभारत युद्ध की समाप्ति के पश्चात पांडव द्रौपदी समेत मेरु पर्वत की यात्रा पर जाते हैं। कहते हैं कि उसी दौरान रास्ते में एक एक करके सब प्राण त्याग देते हैं। ऐसे में जब भीम प्राण त्यागते हैं, तब उसके पीछे कारण यह होता है कि भीम को सदैव ही अपने बल पर अभिमान होता है। यही अंत में भीम की मृत्यु का कारण बनता है।

इस प्रकार, भीम जैसे बलशाली और शक्तिशाली योद्धा युगों युगों तक भारतवर्ष का गौरव बढ़ाएंगे। साथ ही इनके पराक्रम और वीरता की कहानियां आने वाली पीढ़ी का सदैव ही पथ प्रदर्शन करेंगी। भीम की प्रशंसा में हस्तिनापुर महाराज धृतराष्ट्र ने भी कहा था कि….

बलशाली भीम इंद्र के समान तेजस्वी हैं। कौरवों की सेना में उनका सामना करने वाला कोई महान् योद्धा नहीं है। वह अस्त्र ज्ञान में गुरु द्रोणाचार्य, वेग में पवन देवता और क्रोध में महेश्वर के समान है।


अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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