Adarsh Padosi par Nibandh
प्रस्तावना
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। वह अकेला नहीं रह सकता और उसकी इसी वृत्ति के कारण ही ग्राम, कस्बों और नगरों का विकास हुआ है। ऐसे में गांव या नगर में आपके घरों के पास जो लोग रहते है, वो पड़ोसी कहलाते हैं। पड़ोसी शब्द संस्कृत के प्रतिवेशी शब्द का तद्भव रूप है। प्रतिवेशी का अर्थ है अपने घर के आस पास रहने वाला। इस प्रकार हमारे निवास स्थान के सामने, पीछे या बगल में रहने वाले लोग पड़ोसी होते है। जोकि सामाजिक जीवन में सहायक होते हैं। सुख दुख की घड़ी में पड़ोसी ही व्यक्ति के सबसे सच्चे मित्र होते है। जिनके साथ समय समय पर बैठकर हम अपना मनोरंजन कर सकते हैं और जरूरत के समय अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति भी कर सकते हैं।
इतना ही नहीं एक आदर्श पड़ोसी की यह विशेषता होती है कि उसे अपनी बात बताकर हम अपने मन का बोझ हल्का कर सकते हैं। लेकिन ऐसे पड़ोसी की प्राप्ति बड़े सौभाग्य से होती है और जिसे भी ऐसा पड़ोसी मिल जाता है उसका जीवन बड़ी सरलता और सुखपूर्वक व्यतीत होता है। साथ ही विवेकी, विनम्र, मृदु भाषी, हितचिंतकं, सच्चरित्र आदि आदर्श पड़ोसी के गुण होते हैं। साथ ही आदर्श पड़ोसी पर हम विश्वास कर सकते हैं और वह हमारे सगे संबंधियों से भी अधिक सहायक होते हैं।
हमारे पड़ोसी
हमारा परिवार मध्यमवर्गीय और वेतन भोगी परिवार है। परन्तु कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण हम लोग आजकल एक धनी बस्ती के पास किसी कोठी के एक भाग में रह रहे हैं। हमारे मकान में हमारे साथ मकान मालिक भी रहते हैं और पीछे की ओर श्री राजेश जी और बृजेश जी है। साथ ही घर के बगल में सुरेन्द्र कपूर रहते हैं। ये सभी लोग वहां के धनी लोगों में से एक हैं। इनसे हमारी जान पहचान बहुत अच्छी है और व्यवहार भी काफी उत्तम है। इतना ही नहीं इन लोगों ने हमें आज तक यह अनुभव नहीं होने दिया कि हम आर्थिक दृष्टि से कम है तो हमारा इनसे कोई व्यवहार नहीं निभ सकता। बल्कि इन्होंने सदा ही यह अनुभव कराया है कि व्यक्ति धन से नहीं बल्कि अपने उत्तम व्यवहार के कारण प्रतिष्ठा पा सकता है।
हमारे मकान मालिक तो और ही आदर्श पड़ोसी है। श्री सुरेन्द्र जी उनके दो पुत्र, एक पुत्री और पत्नी सब मिलकर हमारे साथ ऐसे घुल मिलकर रहते है, मानो हम सब एक ही परिवार के हो। जब भी उन्हें किसी चीज की आवश्यकता होती है, वह निसंकोच हमसे मांग लेते हैं और व्यवहार में निष्पक्ष रहते है।
हमारे पड़ोसी राजेश जी एक फैक्टरी में स्वामी है और घर में उनके तीन बच्चे है। घर के मनोरंजन और उत्सवों पर वह हमारे पूरे परिवार को आमंत्रित करते हैं। इसके अलावा हमारे दूसरे पड़ोसी बृजेश ने हमारे घर की शादी में काफी मदद की थी। इतना ही नहीं हमारे घर में टीवी नहीं है, ऐसे में बृजेश जी के यहां घर के बच्चे चले जाते है तो वह कभी मना नहीं करते। हम इतने अच्छे पड़ोसियों को पाकर खुद को धन्य महसूस करते हैं।
उपसंहार
इस प्रकार हमारे आदर्श पड़ोसी एक सज्जन प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं। जोकि हमारे साथ सामाजिक व्यवहार में भी सामर्थ्य के अनुसार पीछे नहीं रहते। साथ ही स्वाभिमान को बनाए रखते हुए हमारे प्रति विनम्रता का भाव अपनाते हैं। इसलिए मेरी अभिलाषा है कि जहां भी हम रहे हमें वहां ऐसे ही आदर्श पड़ोसी मिले, जिससे हमारे जीवन में आनंद बरसता रहे।
इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Adarsh Padosi par Nibandh समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।
अन्य निबंध – Essay in Hindi
