Beti Bachao Beti Padhao
भूमिका
हिन्दू धर्म में बेटियों को कंजक मान कर नवरात्रि में पूजा जाता है। बड़े बुज़ुर्ग सब घर की छोटी बेटियों के पैर भी छूते हैं पर दुर्भाग्यवश यह इज़्ज़्त सिर्फ रिवाज़ों तक ही सीमित रह जाती है। रोज़मर्रा की दुनिया में बेटी को अभी भी बेटे समान मान और प्यार नहीं दिया जाता।
देश के बहुत सारे हिस्सों में अभी भी कन्या भ्रूण हत्या और बेटियों को स्कूल ना भेजने जैसे अपराध रोज़ की अख़बार में पढ़ने को मिलते हैं। यह ख़बरें पढ़ कर बहुत दुख होता है कि इक्कसवीं सदी के इस आधुनिक और पढ़े लिखे ज़माने में भी देश ऐसे तुच्छ अपराधों से जूझ रहा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना,Beti Bachao Beti Padhao
इस महान योजना का हमारे देश के आदरणीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय साथ मिल कर 2015 में आगमन किया था। यह आंदोलन लोगों को लड़कियों विरूद्ध होते अपराधों के बारे में जागरूक करने और उन्हें सही राह दिखाने के लिए सौ करोड़ की धनराशि साथ आरंभ किया गया।
यदि हम 2001 और 2011 की जनगणना का मुकाबला करें तो बाल लिंगानुपात 1000 लड़कों पर 927 लड़कियों से घट कर 1000 लड़कों पर 918 लड़कियाँ रह गई। लड़कियों में साक्षरता का प्रमाण भी चिंता का विषय बन गया है।
इस समस्या का समाधान निकालने के लिए आदरणीय प्रधान मंत्री ने 2014 के अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के उपलक्ष पर इस योजना की घोषणा की और 2016 की ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली साक्षी मालिक को इस योजना का दूत बनाया गया।
इस योजना की आवश्यकता

विज्ञान में बढ़ती तरक्की ने लोगों को ज़रूरत से ज़्यादा ताकत दे दी है और लोग बिना सोचे समझे इस ताकत का कुदरत के विरूद्ध जाने में उपयोग करने लगे हैं। कन्या भ्रूण हत्या जैसे तुच्छ अपराध इस बात का सबूत हैं। अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी की तकनीकों ने यह मुमकिन बना दिया है कि हम जन्म से पहले ही बच्चे का लिंग पता कर सकते हैं। और देश भर में बहुत सारे गंदे लोग इस तकनीक का उपयोग करके बेटी को गर्भस्थ शिशु के रूप में भ्रूण में ही मार देते हैं।
इसके अतिरिक्त यदि बेटी पैदा हो भी जाए, तो बहुत जगह पर उसको पैदा होने के बाद ही कचरे के डिब्बे में या मन्दिर के बाहर छोड़ दिया जाता है। ऐसे पापों को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना बहुत ज़रूरी है। जब पढ़े लिखे अमीर लोग भी ऐसा करते हैं तो बहुत दुख होता है।
दहेज़ प्रथा इस समस्या का मुख्य कारण माना जाता है। बेटी के मां बाप को बेटी पैदा होते ही दहेज़ की चिंता सताने लगती है। दहेज उस समान तथा पैसे को कहा जाता है को लड़की के विवाह समय उसके ससुराल को भेंट करना हो।
परंतु कुछ लालची लोग इस भेंट को भेंट समझ कर नहीं लेते, बल्कि लड़की ओर लड़की वालों पर खूब दबाव डालते हैं, कुछ केस में यहां तक नौबत आ जाती है कि लड़की ख़ुदकुशी कर लेती है। यह बहुत शर्म की बात है कि आज़ादी के इतने सालों बाद भी हमें अपने देश की बेटियों को बचाने के लिए इतने प्रयास करने पड़ते हैं।
कन्या भ्रूण हत्या पर रोक

इस योजना के अधीन भ्रूण में बच्चे का लिंग पता लगाना कानूनी जुर्म माना जाता है। किसी हस्पताल को कन्या भ्रूण हत्या की अनुमति नहीं है। और तो और लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न वार्तालाप आंदोलन चलाए गए। जिन प्रदेशों और जिलों में बाल लिंगानुपात ज़्यादा कम है, उन्हें खास दृष्टि में रखा गया।
बेटियों को पढ़ाने के लिए प्रोत्साहन
बेटियों के खिलाफ होते अपराधों से लड़ने के लिए लोगों को जागरूक करने के साथ साथ लड़कियों को स्वयं जागरूक करना भी बहुत अनिवार्य है। लड़कियों को उनके कानूनी हक बताना ज़रूरी है। यह कानूनी साक्षरता और ज़रूरी जानकारी देने के लिए लड़कियों को विद्यालय में दाखिल करना बहुत ज़रूरी है।
सरकार ने विभिन्न जिलों में लड़कियों के लिए अलग से सरकारी स्कूल स्थापित करके इस उद्देश्य को बढ़ावा दिया है। होशियार छात्राओं को छात्रवृत्ति से कर और सबको मध्याह्न भोजन दे कर विद्यालय आने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
जागरूकता फैलाने की आवश्यकता
बेटियों की हत्या या अनादर करने से पहले लोगों को उसके नतीजे पर गौर करवाना आवश्यक है। उन्हें यह समझना होगा कि महिलाएं ही देश का भविष्य होती हैं। यदि महिलाएं नहीं होंगी तो वो अपने बेटों का विवाह किस के साथ करें और अगली पीढी को जन्म को देगा।
हिन्दू धर्म में धन के लिए लक्ष्मी माता को पूजते हैं, विद्या के लिए सरस्वती जी को पूजते हैं, शक्ति के लिए दुर्गा जी को और सुरक्षा के लिए काली माता को पूजा जाता है। ईसाई धर्म में भी यीशु को जन्म देने वाली माता मैरी को पूजा जाता है।
हर चीज़ के समाधान के लिए हम देवी के आगे ही झुकते हैं तो फिर अपने घर में बेटी पैदा होने पर क्यों घबराते हैं। लोगों को महिलाओं के आदर करने की आवश्यकता समझना ज़रूरी है।
कामयाब महिलाएं
इतिहास और वर्तमान काल दोनों गवाह हैं की यदि महिलाओं को मौका दिया जाए तो वो पूरे ब्रह्मांड पर राज कर सकती हैं। झांसी की रानी, कल्पना चावला, किरण बेदी जैसे अनगिनत उदाहरण हैं जब महिलाओं ने देश की रक्षा करने और देश का नाम ऊंचा करने के लिए कदम बढ़ाए हैं।
आधुनिक युग में हम कोई भी क्षेत्र देख लें तो महिलाओं का योगदान छिपा नहीं है। बेटियां कभी भी मां बाप पर भोज नहीं होती, बल्कि उनका भोज हलका करके उनका नाम रोशन करती हैं।
सारांश
यदि भगवान बेटी का जन्म करवाते हैं तो उसकी पालन पोषण की व्यवस्था भी करके भेजते हैं इसलिए भगवान की मर्जी के खिलाफ जा कर हमें बेटी के जन्म से घबराने की ज़रूरत नहीं है। बेटियों को उनका बनता हुए सम्मान दे कर उन्हें पढ़ा लिखा कर देश का नाम रोशन करने के लिए बेटों समान मौका देना चाहिए।
इसके साथ ही हमारा निबंध – Beti Bachao Beti Padhao समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारा आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।
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