Diwali Essay in Hindi
भूमिका
भारत त्योहारों का देश है, यहां पर हर धर्म, हर राज्य के त्योहार मिल जुल कर भाईचारे से मनाए जाते हैं। दिवाली सबसे मुख्य त्योहारों में से एक है। केवल दिवाली वाले दिन ही भी बल्कि उससे कुछ दिन पहले ही सब घरों में खूब रौनक और चहल पहल होती है, यही कारण है कि दिवाली को ख़ुशियों भरा त्योहार माना जाता है। इस दिन भगवान राम चन्द्र के अयोध्या लौटने पर घी के दीप जलाए गए थे, इस वजह से इस त्योहार का नाम ‘दीपा’ वली प्रचलित हो गया।
प्रचलित परंपराएं
दिवाली से जुड़ी अनेक प्रचलित प्रथाएं हैं जो लोग हर्श ओ उल्लास से पूर्ण करते हैं। दिवाली से कुछ दिन पूर्व अपने खास स्मभंदियों और मित्रों के लिए उपहार खरीदे जाते हैं। मिठाइयों की खरीदी और प्रति दान होता है। उपहारों की अदला बदली के ख़ातिर सब अपने व्यस्त रोज़ाना चलन से समय निकाल कर एक दूसरे के घर जाते हैं। घरों की अच्छे से सफाई की जाती है और बहुत खूबसूरत रंगों की रंगोली बनाई जाती है।

दिवाली वाले दिन सब बच्चे नए कपड़े पहनते हैं और घर में माता लक्ष्मी जी का पूजन किया जाता है। माता लक्ष्मी को धन और संपत्ति की देवी माना जाता है, इसलिए दिवाली के दिन सब लक्ष्मी पूजन करके अपने घर में सुख, शांति, समृद्धि की कामना करते हैं। भगवान श्री राम चन्द्र के बनवास से लौटने की खुशी में सांध्य के समय सब अपने घरों के प्रवेश और छज्जे पर घी के दीपक और मोम बत्तियां जलाते हैं।
हिन्दू धर्म की ऐतिहासिक कथा
हिन्दू धर्म के महान ग्रन्थ रामायण अनुसार राजा दशरथ को अपनी पत्नी ककई के कहने पर भगवान राम को चौदह वर्ष के बन वास पर जाने की आज्ञा देनी पड़ी। इस वजह से भगवान राम उनकी पत्नी माता सीता तथा अनुज लक्ष्मण को चोदह वर्ष के लिए वन में रहना पड़ा, जिसके दौरान लंका के राजा रावण ने सीता हरण कर लिया।

हनुमान जी की वानर सेना की सहायता से भगवान रामचनद्र ने माता सीता को रावण से छुड़ा लिया। जिस दिन भगवान राम अपनी धर्म पत्नी और अनुज साथ वापिस अयोध्या लौटे, उस दिन लोगों ने खुशी में घी के दिए जला कर उनका स्वागत किया। उस प्राचीन समय से ही इस दिन को दिवाली के रूप में मनाया जाता है।
सिख धर्म से प्रासंगिकता
सिख धर्म के अनुसार सन 1619 में दिवाली वाले दिन सिखों के छठे गुरु श्री गुरु हरगोबिन्द सिंह जी उस समय के राजा जहांगीर की कैद से 52 अन्य राजकुमारों के साथ रिहा ही कर लौटे थे। उनकी रिहाई की प्रसन्नता में अमृतसर के श्री हरि-मंदिर साहिब गुरुद्वारा में द्वीपों के प्रकाश से सजावट की जाती है, जो एक मंत्र मुग्ध नज़ारा होता है, यह प्रथा आज भी प्रचलित है।
खेदजनक प्रथाएं
कुछ लोग इस शुभ उपलक्ष पर जुआ खेलकर और शराब पीकर इस त्योहार को अपवित्र बना देते हैं। इस त्योहार को सब को अपने परिवार तथा मित्रों साथ सकरात्मकता एवं प्यार और भाईचारे की भावना से मनाना चाहिए और जुए और शराब जैसी अपवित्र प्रथाओं से वंचित रहना चाहिए।
इसके अतिरिक्त आधुनिक युग में घी के मंगल दियों की रोशनी को लोगों ने पटाखों से बदल दिया है। यह पटाखों का शोर भी भी इस त्योहार की शांति को भंग करता है। इनके उपयोग से धूनी प्रदूषण और वायु प्रदुषण दोनों में बढ़ावा होता है, जिसकी वजह से छोटे बच्चों और बड़े बुजुर्गों को दिल एवं श्वास की बीमारियों का खतरा हो जाता है।
और तो और हर वर्ष पटाखों से जुड़ी कोई ना कोई दुर्घटना दिल को दुख देती है। छोटे बच्चे इनको ध्यान से नहीं चलाते जिसके परिणाम स्वरूप बारूद और आग की वजह से कोई दुर्घटना घट जाती है जिस वजह से इतने खुशी के दिन भी माहौल बिगड़ जाता है।
दिवाली मनाने का आदर्श तरीका

कोई भी धर्म हमें प्रकृति के साथ बुरा करना नहीं सिखाता तो हमें इस पवित्र और धार्मिक दिवस पर पटाखे चला कर प्रकृति को नुक़सान नहीं पहुंचाना चाहिए। ऐसा करने से केवल प्रकृति का ही नहीं बल्कि मानव जाती की भी सुरक्षा होगी। प्रदूषण और प्रदूषण से फैलने वाले रोगों कि संभावना कम हो जाएगी।
इसके अतिरिक्त कुछ लोग उपहारों के प्रति दान को अहंकार और प्रतिष्ठा का सवाल मान कर व्यर्थ में पैसा खर्च करते हैं परन्तु यदि कोई गरीब या ज़रूरतमंद सहायता मांगने आए तो उसे इनकार के देते हैं। और तो और दिवाली की माता लक्ष्मी पूजा करवाने के लिए आने वाले पंडित भी इसे धंधा मान कर दक्षिण में खूब धनराशि की मांग करते हैं। हमें ऐसी प्रथाओं को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।
इस त्योहार को मनाने का आदर्श तरीका यही है कि हम पवित्रता और साफ दिल के साथ ईश्वर की देन के लिए धन्यवाद करें और उपहारों को अंहकार से जोड़ने की बजाय प्रेम और भाईचारे की नीयत से प्रतिदान करें और अप-व्यय के स्थान पर ग़रीबों की सहायता करके इस दिन की पावनता को बरकरार रखें।
हर प्रकार की दुश्मनी या कड़वाहट को भूल कर निम्रता से अपने सके संबंधियों को शुभकामनाएं दें और जुए और शराब के सेवन से खुद को वंचित रख कर दीपावली के पवित्र दिवस को उल्लास से मनाए।
सारांश
हमें हर त्योहार की पवित्रता को ध्यान में रखते हुए अपने परिवार और मित्रों साथ प्रेम से मनाना चाहिए। साफ दिल और आदर्श प्रकार से मनाई गई दिवाली दोगुना आनंद देती है। कहा जाता है कि ख़ुशियाँ बांटने से हमेशा ज़्यादा बढ़ती हैं इसलिए जितना हो सके हमें सायाहता की भावना और निम्रता से यह शुभ दिवस मनाना चाहिए।
इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Diwali par nibandh (Diwali Essay in Hindi) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।
अन्य निबंध – Essay in Hindi
Image source for Diwali Essay in Hindi-
