Dussehra par Nibandh
भूमिका
त्यौहार कोई भी हो या कोई भी धर्म से जुड़ा हो, वो प्रेम और भाईचारे से पूरे देश में उत्साह से मनाया जाता है। ऐसे ही बड़े स्तर पर मनाया जाने वाला एक मुख्य त्यौहार दशहरा है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
इस त्यौहार को विजय दशमी भी कहा जाता है क्योंकि यह नवरात्रि के दसवें दिन मनाया जाता है और इस दिन भगवान राम ने रावण साथ युद्ध में जीत प्राप्त की थी। इसलिए दशहरा नाम संस्कृत भाषा के दो शब्दों के समूह से ही बना है– दश मतलब दस और हारा मतलब पराजित किया।
Dussehra मनाने का समय
यह त्यौहार हिन्दू धर्म के पंचांग अनुसार कार्तिक महीने में मां दुर्गा के शुभ नवरात्रि के अंत में मनाया जाता है। इसका एक यह कारण भी है कि भगवान राम जी दुर्गा माता के बहुत बड़े भक्त थे और माना जाता है कि राम जी दुर्गा माता का आशीर्वाद ले कर ही रावण से युद्ध करने गए थे, इसलिए वो विजयी हुए। इस वजह से दशहरा मां दुर्गा की नवरात्रि के त्यौहार से सम्बन्धित है।
Dussehra, दशहरा मनाने का कारण
हिन्दू धर्म के महान ग्रन्थ रामायण अनुसार लंका के राजा रावण ने भगवान रामचंद्र जी के बनवास दौरान उनकी पत्नी माता सीता का हरण कर लिया था। श्री रामचंद्र जी जब हनुमान सेना साथ मिल कर सीता माता को छुड़ाने के लिए लंका गए तो उन्हें रावण साथ युद्ध करना पड़ा।
इस युद्ध दौरान उन्होंने रावण के पुत्र मेघनाथ और भाई कुंबकरण का वद्ध कर दिया। परंतु रावण को बहुत वर्षों की कठोर तपस्या के बाद भगवान ब्रह्मा से अमर होने का वरदान प्राप्त था।
रावण के दस मस्तिष्क होने की वजह से भगवान राम जब उसका एक सिर काट देते थे तो भी वो जीवित रहता था। विभीषण के बताने पर रामचंद्र ने रावण की नाभि पर तीर से वार किया, जहां पर उसका अमृत था।
इस तरह से भगवान विष्णु जी के सातवें अवतार भगवान राम जी ने रावण को पराजित करके बुराई पर अच्छाई की जीत निश्चित कर दी। उस समय से इस दिन को दशहरा के रूप में हर वर्ष मनाया जाता है।
प्रचलित परंपराएं
हिन्दू धर्म के ग्रन्थ अनुसार यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है इसलिए हर वर्ष इस दिन देश के हर भाग में रावण, कुंबकरन और मेघनाथ के विशाल पुतले बना कर जलाए जाते हैं। दशहरा से कुछ दिन पहले ही विभिन्न शहरों में राम लीला का समागम भी शुरू हो जाता है जो दशहरा के दिन अंत होता है।

रामलीला में बने हुए रामचंद्र का किरदार निभाने वाले कलाकार रावण के पुतले पर तीर मार कर उसे जलाते है, जिसे खूब बारूद और पटाखों से तैयार किया जाता है। इस दशहरा मैदान के आस पास तो मेला जैसा ही होता है, लोग दूर दूर से यह समागम देखने आते हैं और इसके आस पास बच्चों के खिलौनों की खूब दुकानें लगाई जाती हैं। इस दिन मां दुर्गा की नवरात्रि के त्यौहार का भी अंत होता है, इसलिए मां दुर्गा का पूजन भी किया जाता है।

यह त्यौहार विभिन्न राज्यों में विभिन्न रूप से मनाया जाता है। हिमाचल प्रदेश में मुख्य रूप से कुल्लू में बहुत बड़ा मेला लगाया जाता है, जिसके दौरान लोग दूर दूर से भगवान की मूर्तियां के कर यात्रा और पूजा करते हैं।
दक्षिण भारत में मां दुर्गा के मन्दिर बहुत सुंदर प्रकार से सजाए जाते हैं और मैसूर के किले की बत्तियों का नज़ारा देखने योग्य होता है, इसी वजह से मैसूर को विजयदशमी मनाने का आदर्श एवम् मुख्य स्थल माना जाता है। जगह जगह पर नृत्य और गायकी के मनोरंजक मुकाबले भी आयोजित किए जाते हैं।
इस त्यौहार से मिलने वाली सीख
धरती के तापमान में निरंतर बढ़ाई की वजह से दशहरा वाले दिन रावण और अन्य दो पुतले जलाए जाने वाली परम्परा पे सवाल उठाया जाता है। देश भर में रावण, कुंबकरान, मेघनाथ के पुतलों के रूप में जलने वाले पटाखे और बारूद बहुत धूनी प्रदूषण और वायु प्रदूषण करते हैं।
मैदान के आस पास के इलाकों में बहुत धुया फैल जाता है। इसलिए वातावरण सुरक्षा से जुड़े लोग और संस्थान हमें रावण के पुतले जलाने की बजाए समाज से बुराइयों को जलाने का सुझाव देते हैं।
इस त्यौहार का मकसद बुराई ख़तम करना है परन्तु यदि हम हर साल केवल रावण का पुतला जला दे और समाज की बुराईयां बड़ती रहे तो इस त्यौहार का मकसद ही खराब हो जाता है। समाज की बुराईयां जैसे कन्या भ्रूण हत्या, चोरियां, बाल श्रम, आदी जैसी परंपराएं असली रावण हैं।
हमें पुतलों की जगह इन बुराइयों का विनाश करने की आवश्यकता है। इस तरह प्रकृति और समाज दोनों को लाभ होगा। हमें अपने अंदर के रावण को जला कर, यानी बुरी आदतें त्याग कर सही राह पर चलना चाहिए, यही इस त्यौहार से मिलने वाली सीख है।
सारांश
दशहरा (Dussehra) एक ऐसा त्यौहार है जिसकी सिर्फ धार्मिक महत्ता ही नहीं बल्कि समाजिक महत्ता भी है। हमें केवल रावण के पुतले का दहन ही नहीं बल्कि खुद के अंदर की बुराइयों और बुरी आदतों का भी दहन करना चाहिए।
जितना हो सके उतना समाज और वातावरण की भलाई के लिए कार्य करना चाहिए। धर्म चाहे कोई भी हो, दशहरे के त्योहार से मिलने वाली यह सीख समस्त मानवता के लिए लाभकारी है।
इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – dussehra par nibandh (Dussehra Essay in Hindi) समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।
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