पुस्तकालय पर निबंध – Essay on Library in Hindi

Pustakalaya par Nibandh

पुस्तकालय दो शब्दों पुस्तक + आलय से मिलकर बना है। इसका सामान्य अर्थ है, पुस्तकों का भंडार गृह। इस प्रकार कह सकते हैं कि अध्ययन के लिए जहां विभिन्न विषयों की अनेक पुस्तकों का संग्रह हो, उसे ही पुस्तकालय कहते हैं। एक विद्वान ने पुस्तकालय को प्राचीन साहित्य साधकों का समाधि मंदिर कहा है। इतना ही नहीं पुस्तकालयों में ही प्राचीन साहित्यकारों के साहित्य की अमूल्य निधि सुरक्षित मिलती है। रस्किन ने अच्छी पुस्तकों को ज्ञान, विज्ञान, भावना, कल्पना और कला का राजकीय कोष कहा है। युग युग से संचित उत्तम विचार सुंदर कल्पनाएं और घटनाएं पुस्तकों में ही सुरक्षित रहती हैं।

पुस्तकालय की उपयोगिता

शरीर को स्वस्थ और सक्रिय रखने के लिए जैसे उत्तम भोजन की आवश्यकता होती है, इसी प्रकार मस्तिष्क के विकास के लिए उत्तम पुस्तकों की आवश्यकता होती है। सभी विषयों की सभी पुस्तकों का संग्रह स्वयं कोई नहीं कर सकता, निर्धन और मध्यम वर्ग के लोग तो कर ही नहीं सकते। ऐसे में उनकी ज्ञान की प्यास को शांत करने के लिए सबसे अच्छा स्थान पुस्तकालय ही होता है। 

पुस्तकालय एक ऐसी संस्था है, जहां प्रत्येक व्यक्ति बिना किसी भेदभाव के प्रवेश पा सकता है और उस संस्था के नियमों का पालन करते हुए ज्ञान और मनोरंजन का लाभ प्राप्त कर सकता है। वर्तमान सामाजिक अवस्था के अनुसार तो पुस्तकालयों की आवश्यकता अनिवार्य है। जो अध्ययन करेगा अवलोकन करेगा, उसी को पता रहेगा कि कहां क्या हो रहा है? काव्य शास्त्र विनोदेन कालो गच्छति धीमताम, यानि सामान्य ज्ञान, राजनीतिक चेतना, साहित्यिक रुचि की संतुष्टि और मनोविनोद पुस्तकालयों में प्राप्त पुस्तकों से ही हो सकता है।

पुस्तकालय के भाग

पुस्तकालयों में प्रायः दो विभाग होते हैं। एक पुस्तकालय और दूसरा वाचनालय। पुस्तकालय में केवल पुस्तकें होती हैं, वहां से उन्हें संस्था के नियमानुसार लिया जा सकता है। वाचनालय में विभिन्न प्रकार की साप्ताहिक पाक्षिक, मासिक और त्रिमासिक पत्र पत्रिकाएं होती हैं। यहां उन पत्र पत्रिकाओं को अथवा पुस्तकों को शांतिपूर्वक बैठकर पढ़ने की सुविधा भी होती है। इसके अध्ययन से ही व्यक्ति को चिंतन की नई सामग्री मिलती है, नवीन विचारों का निर्माण होता है और दृष्टि भी व्यापक बनती है।

पुस्तकालय विविध पुस्तकों का संग्रह

पुस्तकालय में प्रत्येक विषय की पुरानी और नई से नई पुस्तकें सरलता से मिल जाती हैं। एक ही विषय पर लिखी हुई अनेक लेखकों की विभिन्न कृतियां पुस्तकालय में ही मिल सकती हैं। यहां कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, इतिहास, धर्म, दर्शन, ज्ञान, विज्ञान, मनोविज्ञान, अर्थशास्त्र, वाणिज्य, शिल्प, कला कौशल आदि अनेक विषयों की पुस्तकें संग्रहित होती हैं। अतः अपनी रुचि के अनुसार पाठक यहां पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं।

जो छात्र अथवा व्यक्ति किसी विषय पर अनुसंधान करना चाहते हैं, उनके लिए सबसे अच्छा स्थान पुस्तकालय ही है। यहीं उनके एक ही विषय की पुरातन से पुरातन और नवीन से नवीनतम अनेक पुस्तकों प्राप्त हो जाती हैं। साथ ही अध्ययन के लिए उपयुक्त शांत वातावरण भी यहां प्राप्त होता है। साथ ही अवकाश के समय जब कोई हमारा साथी नहीं होता, तब पुस्तकें ही हमारी अच्छी मित्र और साथी बनकर हमारा मनोविनोद करती हैं, ज्ञानवर्धन करती हैं और समय का सदुपयोग कराती हैं।

देश में पुस्तकालय

अध्ययन अध्यापन तथा ज्ञान विज्ञान के प्रचार प्रसार के लिए पुस्तकालय अत्यंत उपयोगी है, इसी कारण आज विद्यालयों, महाविद्यालयों में पुस्तकालयों की स्थापना अनिवार्य रूप से हो गई है। देश के महानगरों या छोटे नगरों में अनेक सार्वजनिक पुस्तकालय भी स्थापित है। महानगरों में तो बसों में चलते फिरते पुस्तकालयों की भी व्यवस्था है। जिनसे लोग नाममात्र का चंदा देकर और कुछ रक्षा धन जमाकर आवश्यकतानुसार पुस्तकें प्राप्त कर सकते हैं।

उपसंहार

आज विज्ञान, शिल्प और विविध कलाओं का इतना तीव्र विकास हो रहा है कि उसका ज्ञान अतिरिक्त पुस्तकों से ही प्राप्त हो सकता है। अतः हमें नवीन पुस्तकालयों की स्थापना कर उनका अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए। ये ही हमें अज्ञान से ज्ञान की ओर अंधकार से प्रकाश की ओर ले जा सकते हैं।


इसके साथ ही हमारा आर्टिकल – Pustakalaya par Nibandh समाप्त होता है। आशा करते हैं कि यह आपको पसंद आया होगा। ऐसे ही अन्य कई निबंध पढ़ने के लिए हमारे आर्टिकल – निबंध लेखन को चैक करें।

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अंशिका जौहरी

मेरा नाम अंशिका जौहरी है और मैंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर किया है। मुझे सामाजिक चेतना से जुड़े मुद्दों पर बेबाकी से लिखना और बोलना पसंद है।

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