पर्यावरण पर निबंध | Essay on Environment

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प्रकृति ने हमें एक बहुत ही स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण प्रदान किया था। परंतु आज के मानव ने अपने लालच और विकास के नाम पर उसकी महत्ता को खतरे में डाल दिया है। आज के समय में विज्ञान जितना आगे बढ़ रहा है हमारी प्रकृति उतनी ही प्रदूषित होती जा रही है।

विज्ञान की बढ़ती प्रकृति ने एकओर तो हमारे लिए सुख सुविधा में वृद्धि की है, तो दूसरी ही ओर पर्यावरण को दूषित करके मानव के अस्तित्व पर एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया है।

पर्यावरण शब्द का अर्थ

पर्यावरण दो शब्दों से मिलकर बना है पर + आवरण अर्थात् हमारे चारों ओर से घेरे हुए वातावरण को पर्यावरण कहते हैं। पर्यावरण से मानव का अत्यंत घनिष्ठ संबंध है।

पर्यावरण से मनुष्य की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति होती है और हमें पीने का शुद्ध जल, वायु आदि कारक भी पर्यावरण से प्राप्त होते हैं।

पर्यावरण का महत्व

शुद्ध पर्यावरण के कारण ही आज हम सभी जीवित हैं। हर किसी के जीवन में पर्यावरण का एक बहुत बड़ा महत्व है। क्योंकि पृथ्वी पर जीवन पर्यावरण से ही संभव है। समस्त मनुष्य जीव जंतु प्राकृतिक वस्तुएं वनस्पतियां पेड़ पौधे जलवायु मौसम सब पर्यावरण के अंतर्गत ही निहित है।

हम सभी के जीवन में पर्यावरण का बहुत बड़ा महत्व है। यदि हमें शुद्ध पर्यावरण ना मिले तो धीरे-धीरे समस्त जीव जंतु व मानव जाति से लेकर के पेड़ पौधे, पक्षी, नदियां आदि विलुप्त होते चले जाएंगे। जोकि आजकल हो भी रहा है।

इसलिए हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है, पर्यावरण को स्वच्छ रखना। यदि पर्यावरण अशुद्ध है तो ये संपूर्ण जीव जगत के लिए बहुत बड़ा खतरा है। हमारे जीवन के लिए पर्यावरण का स्वच्छ रहना अति आवश्यक है।

लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाने और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। सर्वप्रथम पर्यावरण दिवस 5 जून सन 1973 को मनाया गया था। इस मौके पर कई स्थानों पर जागरूकता कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

पर्यावरण और जीवन

पर्यावरण और मनुष्य दोनों ही एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। यानी कि पर्यावरण पर ही मनुष्य पूरी तरह से निर्भर करता है। पर्यावरण के बिना मनुष्य अपने जीवन के बारे में सोच भी नहीं सकता है।

भले ही आज विज्ञान कितनी भी तरक्की क्यों ना कर ले लेकिन यदि पर्यावरण स्वच्छ नहीं है तो मानव जीवन असंभव है।प्रकृति ने हमें कितना कुछ दिया है उसकी कोई तुलना भी नहीं कर सकता।

परंतु आज का मनुष्य अपने भौतिक सुख की प्राप्ति के लिए प्रकृति का दोहन करने लगा है। हमें अपनी सुख-सुविधाओं के लिए प्रकृति का दोहन करने से बचना चाहिए। प्रकृति से ही हमें वायु, जल, अग्नि, आकाश, थल ये पांच तत्व प्राप्त हुए हैं।

जिस पर मानव जीवन टिका हुआ है। ये सभी हमें पर्यावरण से ही प्राप्त होते हैं। पर्यावरण न केवल हमारे स्वास्थ्य का ख्याल रखता है बल्कि इसकी गोद में हमें मां की तरह सुख शांति भी प्राप्त होती है।

पर्यावरण से लाभ

पर्यावरण से हमें जीने का सबसे बड़ा माध्यम वायु मिलती है। पर्यावरण हमारे जीवन का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। पर्यावरण में जैविक अजैविक, प्राकृतिक तथा मानव निर्मित वस्तु का समावेश होता है। प्राकृतिक पर्यावरण में पेड़, झाड़ियां, जल, नदियां, सूर्य का प्रकाश, पशु हवा आदि शामिल है।

जो वायु हम हर पल सांस के माध्यम से लेते हैं। पानी जिस के सिवा हम जी ही नहीं सकते भी और जो हम अपनी दिनचर्या में इस्तेमाल करते हैं। पेड़ पौधे उनका हमारे जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। ये सभी प्राकृतिक चीजें जो पृथ्वी पर मानव जीवन संभव बनाती हैं, पर्यावरण के अंतर्गत ही आती हैं। 

पेड़-पौधों की हरियाली से मन का तनाव पूरी तरह से दूर हो जाता है, और दिमाग को एक अद्भुत शांति मिलती है। चारों ओर हरियाली देखकर तो मन प्रफुल्लित हो उठता है। पर्यावरण से ही हमारे अनेक प्रकार की बीमारियां भी दूर होती हैं।

पर्यावरण मनुष्य, पशु और अन्य जीव जंतु को बढ़ाना और उनके विकास होने में मदद करता है। मनुष्य भी पर्यावरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। पर्यावरण का एक घटक होने के कारण हमें भी पर्यावरण का संवर्धन करना चाहिए।

मनुष्य यदि लंबे समय तक जीवित रहना चाहता है तो उसे पर्यावरण की वास्तविकता को बनाए रखना होगा यदि पर्यावरण का अस्तित्व खो गया तो मनुष्य जीवन भी कहीं खो जाएगा।

पर्यावरण से हानि

आज के वर्तमान समय में पर्यावरण प्रदूषण बहुत ही तेजी से बढ़ रहा है। बढ़ती हुई जनसंख्या की वजह से पर्यावरण की प्रकृति पूर्ण रूप से नष्ट हो रही है। जिधर देखो उधर घने वृक्षों को काटकर बड़ी-बड़ी इमारतें बना दी गई हैं।

गाड़ी का धुआं, फैक्ट्री में मशीनों की आवाज, खराब रसायनिक जल, आदि इन सभी कारणों से वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, और मृदा प्रदूषण हो रहा है। ये एक बहुत बड़ी चिंता का विषय है। ये हमारे मनुष्य जीवन के लिए बहुत ही घातक साबित हो सकता है।

इसी के कारण हमें अनेक प्रकार की नई-नई बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। अशुद्ध  पर्यावरण से हमारे शरीर का जीवन काल धीरे-धीरे कम होता जा रहा है।

वहीं आज जहां विज्ञान में तकनीकी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिला है एवं दुनिया में खूब विकास हो रहा है, तो दूसरी ही तरफ ये बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण के लिए भी जिम्मेदार हैं।

आधुनिककरण, प्रौद्योगिकी करण और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से पर्यावरण पर बहुत गलत प्रभाव पड़ रहा है। मनुष्य अपने स्वार्थ के कारण चलते पेड़ पौधों की कटाई कर रहा है एवं प्राकृतिक संसाधनों से निरंतर खिलवाड़ करता रहा है।

जिसके चलते पर्यावरण को बहुत क्षति पहुंच रही है। यही नहीं कुछ मानव निर्मित कारणों की वजह से वायुमंडल, जलमंडल आदि प्रभावित हो रहे हैं। धरती का तापमान निरंतर  बढ़ता जा रहा है और ग्लोबल वार्मिंग जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं, जो कि मानव जीवन के लिए बहुत ही खतरनाक है।

पर्यावरण हमारे लिए अनमोल रतन है। इस पर्यावरण के लिए हम सभी को एकजुट होकर कार्य करना होगा। संपूर्ण मानव जाति को जागरूक होने की आवश्यकता है। पर्यावरण का सौंदर्य बढ़ाने के लिए हमें अपने आसपास साफ-सफाई का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए।

पेड़ों का महत्व समझ कर हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाना चाहिए। घने वृक्ष वातावरण को शुद्ध रखते हैं और हमें छाया भी प्रदान करते हैं। ये ऑक्सीजन के बहुत बड़े स्रोत भी होते हैं। घने वृक्ष पशु पक्षी का भी निवास स्थान होते हैं इसीलिए हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।

निष्कर्ष

पर्यावरण के प्रति समस्त मानव जाति को जागरूक होने की आवश्यकता है अंधाधुंध हो रही पेड़ों की कटाई पर सरकार को सख्त कानून बनाना चाहिए इसके साथ थी पर्यावरण को स्वच्छ रखना हमारा सबसे पहला कर्तव्य होना चाहिए क्योंकि स्वच्छ पर्यावरण में रहकर ही स्वस्थ मनुष्य का निर्माण हो सकता है।

जब मनुष्य स्वस्थ होगा तभी देश का विकास होगा इसलिए हम सभी को पर्यावरण को प्राथमिकता देनी चाहिए। अपने आसपास स्थानों को स्वच्छ रखना चाहिए वाह हरे पेड़ पौधे लगाने चाहिए चिड़ियों को दाना डालना चाहिए नदियों में नदी नाले आदि बहाने से रोकना चाहिए।

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