हिरन (Deer) घास के मैदानों में पाया जाने वाला एक स्तनधारी जीव है। अंटार्कटिका और ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर हिरन पूरी दुनिया मे पाया जाता है। हिरन देखने में एक बहुत ही सुंदर जानवर है, जो अपनी सुंदर-सुंदर बड़ी तिरछी आंखों के कारण बहुत प्रसिद्ध है। हिरन की दो सुंदर आंखे, दो कान और चार पैर होते हैं।
हिरन हल्के भूरे रंग का होता है और उसके शरीर पर सफेद रंग के गोल धब्बे होते हैं। हिरनों की आंखें उनके सिर के किनारों पर स्थित होती हैं, जिससे ये अपनी आंखों से 310 डिग्री तक का दृश्य देख सकते हैं।
हिरन एक पूर्ण रूप से शाकाहारी जानवर है इनका मुख्य भोजन घास और छोटे पौधे होते हैं, बाकी ये पत्ते, फल, फल्लियाँ आदि भी खाना पसंद करते हैं। ये वनस्पति के खाने के बहुत शौकीन होते हैं। हिरन की पतली लंबी टाँगे बहुत मजबूत होती हैं। हिरन 40 मील प्रति घण्टा की रफ्तार से दौड़ता है ।
हिरण कूदने में भी बेहद माहिर होते हैं और ये लगभग 10 फीट तक कूद सकते हैं। हिरन के सुनने की शक्ति बहुत ज्यादा होती है। ये हल्की सी भी आहट सुन लेता है और आस पास खतरा जानकर चौकन्ना हो जाता है।
केवल सुनने की ही नहीं बल्कि इनकी सूंघने की शक्ति भी कमाल होती है। हिरन के पास पानी में अच्छी तरह तैरने का भी हुनर होता है। एक हिरन का औसतन जीवनकाल लगभग 18-20 वर्ष का होता है। इनके कानों में बहुत सी मांसपेशियां जुड़ी हुई होती हैं, जिससे ये बिना सिर हिलाये किसी भी दिशा में अपने कान मोड़ पाने में समर्थ होते हैं।
ये मनुष्यों की तुलना में उच्च आवृत्ति की ध्वनि भी सुन सकते हैं। हिरन हर साल अपने सींगों को गिरा देता है और फिर पुनः उसके नए सिंग उग आते हैं। एक नर हिरन मादा हिरन को अपनी सींगों के द्वारा ही आकर्षित करता है। हिरन के सींग बहुत ही मजबूत होते हैं कि इसके एक प्रहार से ये शेर जैसे जानवर की भी हड्डी तोड़ सकते हैं।
प्रजातियों के आधार पर हिरन का जीवनकाल 10 से 25 वर्ष तक का होता है। लेकिन बहुत से हिरन शिकारियों या फिर पर्यावरणीय खतरों जैसे वाहनों के साथ टक्कर आदि के कारण पहले ही मर जाते हैं। हिरन की रात में भी देखने की क्षमता तीव्र होती है ।
हिरन अपने सिर, पैर और खुरों पर स्थित ग्रंथियों से एक विशेष प्रकार का गंध उत्पन्न करते हैं। आपको बता दें कि ये विशेष गंध अन्य हिरन को उनके लिंग, सामाजिक स्थिति, शारीरिक स्थिति और एक क्षेत्र की स्थिति के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
हिरन के बहुत से दुश्मन शिकारी होते हैं जिनमें से शेर, चीता, बाघ जैसे मांसाहारी जानवर शामिल हैं। है। मनुष्य भी हिरनों का बहुत अधिक शिकार करता है। मनुष्य के द्वारा इसके शिकार का मुख्य कारण हिरन के सींगों की तस्करी करना है। शिकार के कारण हिरनों की संख्या में लगातार कमी आती जा रही है।
पूरी दुनिया में हिरनों की लगभग 60 से भी अधिक प्रजातियाँ हैं। हिरनों की विभिन्न प्रजातियों में प्रजनन काल उनके आकार के अनुसार ही भिन्न-भिन्न होता है। आकार जितना बड़ा होता है, प्रजनन काल भी उतना ही लंबा होता है।
इनका प्रजनन काल इस बात पर भी निर्भर करता है कि हिरन की कोई प्रजाति किस स्थान पर निवास कर रही है। उष्णकटिबंधीय जलवायु में पाए जाने वाले हिरन पूरे साल प्रजनन कर सकते हैं। सामान्यतः हिरनों का प्रजनन काल 180 से 240 दिनों का होता है।
हिरन के बच्चे की एक खास बात होती है कि ये जन्म लेने के 10 मिनट बाद ही खड़े हो जाते हैं और 7 घंटे के बाद चलने-फिरने भी लगते हैं। हिरन के तुरंत जन्म लिए बच्चों में गंध नहीं होती। जिस कारण से अन्य शिकारी जानवर इन्हें सूंघ नहीं पाते हैं और इनका पता लगाकर इन पर हमला भी नहीं कर पाते, जिससे ये सुरक्षित रहते हैं।
हिरन एक सामाजिक प्राणी है ये हमेशा झुंड में ही यात्रा करते हैं। इनके झुंड का नेतृत्व अक्सर एक नर हिरन करता है। हालांकि कुछ प्रजातियों के झुंड लिंग के अनुसार भी होते हैं। जैसे कि मादा हिरनों का अपना एक अलग झुंड होता है और नर का अपना अलग झुंड। कई बार नर झुंड द्वारा मादा झुंड का ध्यान भी रखा जाता है।
हिरन को जब भी अपने आस पास खतरा महसूस होता है, तो वे अन्य हिरनों को चेतावनी देने के लिए अपनी पूंछ ऊँची कर लेते हैं। शिकारी से बचने की कोशिश में या किसी डर की स्थिति में हिरन 30 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ सकते हैं और 10 फीट से 30 फीट ऊँची छलांग भी लगा सकते हैं।
गर्मियों के बाद और सर्दियों से पहले, हिरन अपना रंग बदलते हैं। ये परिवर्तन आमतौर पर एक या दो हफ्ते के अंदर होता है। हिरन भी अलग-अलग रंग में आते हैं। ये या तो बहुत हल्के भूरे रंग के होते हैं या फिर बहुत ज्यादा गहरे रंग के होते हैं। हिरन के बच्चों में मौजूद धब्बे शिकारियों के खिलाफ बच्चों की सुरक्षा तंत्र के रूप में कार्य करते हैं।
मादा हिरन के पास कोई सींग नहीं होती है, और ये हल्के भूरे रंग की होती हैं। नर हिरन, मादा हिरन की तुलना में अधिक भारी होते हैं। हिरन की नाभि में कस्तूरी पायी जाती है । कस्तूरी एक लगातार महकने वाली चीज होती है, जोकि नर कस्तूरी हिरन के पुच्छ ग्रंथियाँ से प्राप्त किया जाता है। कस्तूरी मृग अर्थात् हिरन, मुख्य रूप से हिमालय क्षेत्र में ही पाए जाते हैं।
इन हिरनों से कस्तूरी का उपयोग सुगंधि और पारंपरिक दवा बनाने के लिए किया जाता है। कुछ हिरनों के बाल होते हैं जोकि बिल्कुल सीधा खड़े होते हैं और एक विशेष प्रकार की गंध छोड़ते हैं। आपको बता दें कि किसी काले हिरन का शिकार करना पूर्वतया अवैध है।जब भी कोई व्यक्ति काले हिरन का शिकार करते हुए मिलता है तो उसे सरकार के द्वारा कड़ी सजा दी जाती है।
सबसे छोटे हिरन को भारत में माउस डियर के नाम से बुलाया जाता है। बहुत ही दुःख की बात है कि शिकार के कारण हर साल लगभग 6 मिलियन से अधिक हिरन मारे जाते हैं। हिरन एक बहुत ही खूबसूरत प्राणी होता है। इनसे ही जंगल की शोभा होती है। कवि एक स्त्री की आँखों की तुलना भी सदैव मृग से करते हैं। ये स्त्री के लिए मृगनयनी शब्द का इस्तेमाल करते हैं। हमें इन्हें बचाने का प्रयास करना चाहिए न कि इनका शिकार करके इनका अपने स्वार्थ के लिये इस्तेमाल करने का।
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