कबूतर (pigeon) शब्द की उत्पत्ति ‘पोपियो’ नामक लैटिन शब्द से हुई है । पूरे विश्व भर में कबूतर की लगभग 300 से ज्यादा किस्मे पाई जाती है। कबूतर एक बहुत ही सुंदर पक्षी है ये पूरे विश्व में पाया जाता है। कबूतर प्राचीन काल से ही मनुष्यों का पालतू पक्षी रहा है।
पुराने समय से इनका इस्तेमाल गुप्त पत्रों को इधर-उधर भेजने के लिए किया जाता था। ये विभिन्न प्रकार के और भिन्न-भिन्न रंगों में पाए जाते हैं। ये स्लेटी, सफेद और भूरे रंग के पाये जाते हैं। घरों में लोग अधिकतर सफेद कबूतर पालते हैं और स्लेटी और भूरे कबूतर जंगलों में या किसी पुराने खंडहर में पाए जाते हैं।
कबूतर एक बहुत ही बुद्धिमान और चतुर पक्षी होता है। अधिकतर कबूतर शाकाहारी होते हैं ये अनाज, बाजरे के दाने और फल आदि खाना बेहद पसंद करते हैं। इनका दिमाग बहुत तेज होता है। ये आसानी से 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उड़ सकते हैं। ये बिना रुके काफी देर तक उड़ सकते है।
कबूतर की एक छोटी सी चोंच होती है, इनके पंजे अधिक नुकीले नहीं होते। अपने पंजों की विचित्र बनावट के कारण ये बहुत ही आसानी से पेड़ की शाखा को मजबूती से पकड़ लेते हैं।
कबूतर एक बहुत ही शांत स्वभाव का पक्षी होता है। मोर के बाद इसे ही सबसे शांत पक्षी माना जाता है। इन्हें शांति का भी प्रतीक माना जाता है। एक बार देखने के बाद ये किसी भी व्यक्ति को नहीं भूलता, दोबारा देखने पर उन्हें तुरंत पहचान लेते हैं। कबूतर ज्यादातर समूह में ही पाये जाते हैं क्योंकि इन्हें समूह में रहना बहुत पसंद होता है। इन्हें इंसानों के साथ रहने में भी अच्छा लगता है।
कबूतर पूरे जीवन भर एक ही जोड़ा बनाकर रखते हैं आपने अपने घरों में देखा भी होगा कि ये हमेशा जोड़े में ही देखे जाते हैं । कबूतर एक बार में केवल दो अंडे देता है। लगभग 19 से 20 दिनों में ही इनके बच्चे अंडे से बाहर आ जाते हैं और अंडो को नर और मादा दोनों मिलकर सेकते हैं। कबूतर स्वभाव से ही एक मिलनसार पक्षी होता है। कबूतर एक बहुत ही सुंदर प्यारा सा पक्षी होता है।
पूरी दुनिया में कबूतरों की बहुत सी प्रजातियां पाई जाती हैं। ये लोगो द्वारा लिखी हुई चिट्ठियां आसानी से एक स्थान से दूसरी स्थान ले जाते थे। इनके द्वारा ये कार्य इसलिए भी संभव हो पाता था क्योंकि कबूतर की कबूतर की स्मरण शक्ति बहुत अधिक होती है। ये चिट्ठियों को उनके सही पते पर देकर अपने मालिक का दिल जीत लेते थे। हालांकि अब मोबाइल फोन आ जाने के कारण इनकी कोई आवश्यकता नहीं रह गई है।
पूरी दुनिया में लगभग 40 करोड़ कबूतर पाए जाते हैं।
आपको बता दें कि कबूतरों और इंसानों का संबंध बहुत ही पुराने समय से है। कबूतरों को मनुष्यों के आस पास रहना बहुत अच्छा लगता है। मनुष्यों की तुलना में कबूतर के सुनने की क्षमता बहुत अच्छी होती है। इनके देखने की क्षमता भी अधिक होती है इसी कारण से ये 26 मील दूर रखी वस्तु को भी एकदम स्पष्ट देख सकते हैं।
कबूतर काफी ऊंचाई पर उड़ सकता हैं और इसे शांति का भी प्रतीक माना जाता है क्योंकि दूसरे पक्षियों की भाँति इन्हें शोर मचाना बिल्कुल भी पसंद नहीं होता है। इनके गाल सफेद होने के कारण ही शांति का प्रतीक भी माना जाता हैं।
विषय सूची
कबूतर की प्रजातियां | Types of Pigeon
दुनिया में कबूतरों की बहुत सी नस्लें पाई जाती है। कबूतर समान्यतः दो प्रकार के होते हैं एक तो जंगली और कबूतर और दूसरा घरेलू कबूतर । घरेलू कबूतर को ही शांति का प्रतीक कहा जाता है। ये सबसे ठंडे क्षेत्रों और सबसे दूर स्थित द्वीपों को छोड़कर पूरी दुनिया में कबूतर पाए जाते हैं।
इनकी अभी तक लगभग 250 प्रजातियां ज्ञात हैं। इनमें से दो-तिहाई उष्णकटिबंधीय दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिमी प्रशांत के द्वीपों में पाए जाते हैं। प्रत्येक कबूतर अन्य पक्षियों की तरह निगलने के स्थान पर तरल पदार्थ लेते हैं। अन्य पक्षियों की भांति कबूतर भी अपने बच्चों को उनकी चोंच में भोजन खिलाते हैं।
कबूतर की शारीरिक बनावट
कबूतर की बनावट भी बिल्कुल अन्य पक्षियों के जैसी ही होती है। कबूतर के पूरे शरीर पर पाए जाने वाले छोटे-छोटे बालों के द्वारा ये गर्मी और सर्दी में अपने शरीर के तापमान को नियंत्रित करके रखते हैं। कबूतर के दो पतले पतले पैर होते हैं। इनके पंजे बिल्कुल भी नुकीले नहीं होते हैं। कबूतर के गले के पास हरे, नीले या फिर बैगनी रंग का थोड़ा सा निशान होता है।
इनके गले में काले रंग की एक गोल रिंग जैसी बनी होती है। इनकी आंखें प्रजातियों के अनुसार अलग-अलग रंग की होती हैं। इनकी चोंच के ऊपर दो छोटे छेद पाए जाते हैं। इन छेदों के माध्यम से ही ये सांस लेते हैं या यूं कहा जाये की इनकी चोंच पर स्थित दो छिद्र ही इनकी नासिका होती है ।
कबूतर का भोजन | Food of Pigeon
कबूतर आहार के रूप में अनाज, मक्का, बाजरा, फल आदि खाते हैं । इसके अलावा ये घर पर बने भोजन रोटी के टुकड़े आदि भी खाते हैं। कबूतर केवल एक प्रकार का दाना खाना पसंद नहीं करते अगर इन्हें एक ही प्रकार का दाना दिया जाये तो ये दाना खाते नहीं हैं, जिससे ये बीमार हो जाते हैं इसी कारण से कबूतरों को हमेशा गेहूं, बाजरा, चावल आदि का मिला हुआ दाना दिया जाता है।
कबूतर का निवास स्थान
जंगली कबूतर जंगल एवं तटीय स्थानों में और घरेलू कबूतर मानव निवासिय क्षेत्रों में पाए जाते हैं। ये हमे अधिकतर प्राचीन खंडहरों में देखने को मिलते हैं । ये पुरानी और अंधेरे स्थान पर रहना अधिक पसंद करते हैं। वैसे तो कबूतरों की अधिकतम उम्र 20 वर्ष की होती है लेकिन सबसे ज्यादा जीने वाला कबूतर 25 वर्ष का था। कबूतर ही एक ऐसा पक्षी है जिसने मिरर टेस्ट को पास किया यानि कि कबूतर अपने आप को शीशे में पहचान सकते हैं।
ये कभी भी अपना रास्ता नहीं भूलते इनकी स्मरण शक्ति बहुत ज्यादा अच्छी होती है। ये काफी किलोमीटर जाकर वापास उसी रास्ते पर आ सकते हैं। इनमें बच्चों को पालने की संपूर्ण जिम्मेदारी नर और मादा दोनों की होती है। कबूतर एक मात्र ऐसे प्राणी हैं जिसमें नर और मादा दोनों ही बच्चों को दूध पिला सकते हैं। कबूतर को पीने के लिए रोज 30 मिलीलीटर पानी की जरूरत होती है कबूतर पानी पीने के लिए बर्फ का भी उपयोग कर सकते हैं।
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